Roshan sharma

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लगने लगी है

अल्फ़ाज़ कहां से लाऊं मैं बताने के लिए,
ताउम्र चले जो रिश्ता दिल लगाने के लिए!

थम सा जाए वो पल हर शख़्स के  वास्ते,
जब आए वो रूठी चाहत मनाने के लिए!

हालात_ए_उलझन में वो मसरूफ भी हो ,
प्यार कम नहीं होता कभी जताने के लिए!

उस महफ़िल में रौनक अलग  ही लगती,
जब लगे डाट इक दूजे को बचाने के लिए!

क्या लिखूं मै लफ्ज़ दो लफ्ज़ उसके खातिर,
जो जीते हर पहर चाहत को हसाने के लिए!

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7 Comments

Waah! Behad khoobsurat Ghazal

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Aliya khan

22-Jun-2021 10:09 PM

वाह जी 👏👏👏👏

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Kshama bajpai

22-Jun-2021 09:34 PM

वाह वाह.....खूबसूरत👌👌👌👌👌👌

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